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Friday, May 11, 2018

विवाह के क्या है मायने और क्यो जरूरी है विवाह करना?

मित्रों आप इस पोस्ट को पढ़कर यह जान सकते हैं कि विवाह हमारे जीवन में कितना जरूरी है और विवाह हमारे जीवन में क्या मायने रखते हैं इन सभी बातों को आप यह पोस्ट पढ़कर जान सकते हैं तो हम आते हैं अपने पोस्ट पर-

वर्तमान के बदलते परिवेश में रिश्तों के मायने भी बदलते जा रहे हैं। आज रिश्तों का वह अर्थ नहीं रहा, जिसकी कल्पना करके हमारे पूर्वजों नेपरिवारकी नींव रखी थी। आज रिश्ते
औपचारिकता का चोला पहनकर बनावटी बनते जा रहे हैं।

विवाह वह नींव है, जिस पर परिवाररूपी इमारत खड़ी होती है। इसके बगैर जो रिश्ते जिए जाते हैं, वे रिश्ते उन्मुक्त होते हैं।

कुछ सोच-समझकर ही विवाह को जीवन के एक अनिवार्य 'संस्कार'के रूप में हिन्दू धर्म में अहमियत दी गई होगी। वहीं कुछ धर्मों में विवाह को एक 'अनुबंध' का नाम देकर एक पुरुष को एक से अधिक पत्नियाँ रखने तथा अपने जीवनसाथी से आसानी से स्वतंत्र होने की कानूनन मान्यता दी गई है।

इसे भी पढ़े- विवाह के सात वचन का महत्त्व

क्यों जरूरी है विवाह :-

विवाह के मायने भले ही बदल गए हैं, पर इसकी अनिवार्यता अभी तक काबिज है। क्या कभी आपने सोचा है यदि विवाह जैसीसंस्थाही ना होती तो क्या होता? यह प्रश्न आज एक गंभीर चिंतन का विषय है।

आज जब उन्मुक्त संबंधों की चर्चा उठी है तो विवाह जैसे विषय पर विचार करना भी बेहद जरूरी हो गया है। हमारे धर्म में 'विवाह' जैसी संस्था है तभी स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के साथ जीवनभर रह रहे हैं।

समाजव परिवार का इस बारे में कड़ा रवैया कुम्हार की तरह स्त्री-पुरुषों को परिवाररूपी घड़े के आकार में ढाल रहा है। अनिवार्यता व मर्यादाओं के नाम पर उसके हाथों के द्वारा दी जाने वाली चोट ही आज इस घड़े को सही आकार में ढाल रही है।


अगर विवाह की जगह उन्मुक्त संबंधों को मान्यता दी जाती तो हमारा भविष्य क्या होता, इसकी कल्पना तो आप कर ही सकते हैं। आज समाज व परिवार के अनुशासन के कारण ही स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के साथी बनकर अपने बच्चों को अपनी पहचान दे रहे हैं।

यदि इसकी जगह उन्मुक्त व स्वच्छंद संबंध होते और विवाह की कोई कड़ी बंदिश नहीं होती तो कुछ समय एक-दूसरे के साथ रहने के बाद कभी भी कोई भी अपने साथी या बच्चों का परित्याग कर देता जैसा कि आज 'लिव इन रिलेशनशिप' के नाम पर हो रहा है। तबकानूनव समाज भी अपनी नाकामी पर आँसू बहाता होता और हमारे बच्चे लावारिस की तरह सड़कों पर भटकते रहते।

आज यदि स्त्री-पुरुष के शारीरिक संबंधों को विवाह के रूप में कानूनी मान्यता मिली है तो इसका औचित्य भी है। वर्तमान में हम लोग परिवारवादी प्रणाली को अपना रहे हैं और सुख -दु:ख में एक-दूसरे का जीवनभर साथ निभा रहे हैं। आज हमारे बच्चे अपने माँ-बाप के नाम से पहचान पाकर हमारी संपत्ति में अपना अधिकार प्राप्त कर रहे हैं। यह 'विवाह' की सबसे बड़ी सार्थकता है।

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विवाह के 7 वचन का महत्व


विवाह के 7 वचन का महत्व 

:- विवाह हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है। विवाह की सबसे खास रस्म मानी जाती है सात फेरे। पति और पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को 7 वचन देते हैं और जीवनभर उन वचनों का पालन करने की कसम भी खाते हैं। विवाह के दौरान पंडित इन 7 वचनों का संस्कृत भाषा में बोलते हैं, लेकिन आज मैं आपको उन्हीं सातों फेरों का हिंदी अनुवाद करके बताने जा रहा हूँ।इससे आप विवाह के दौरान लिए जाने वाले 7 फेरों का मतलब और महत्व जान पाएं

पहला वचन

तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!।
अर्थ
यदि आप कोई व्रत-उपवास, अन्य धार्मिक कार्य या तीर्थयात्रा पर जाएंगे तो मुझे भी अपने साथ लेकर जाएं। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।

दूसरा वचन

पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम!!
अर्थ
आप अपने माता-पिता की तरह ही मेरे माता-पिता का भी सम्मान करेंगे और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

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तीसरा वचन

जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात
वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं!!
अर्थ
आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

चौथा वचन

कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थ:।।
अर्थ
अब हम विवाह बंधन में बंध रहे हैं तो भविष्य में परिवार की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेमदारी आपके कन्धों पर हैं। अगर इसे स्वीकार करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

पांचवा वचन

स्वसद्यकार्ये व्यहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्‍त्रयेथा
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या!!
अर्थ
अपने घर के कार्यों में, विवाह आदि, लेन-देन और अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी राय लिया करेंगे तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

छठा वचन

न मेपमानमं सविधे सखीना द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्वेत
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम!!
अर्थ
यदि मैं कभी सहेलियों के साथ रहूं तो आप सबके सामने कभी मेरा अपमान नहीं करेंगे। जुआ या किसी भी तरह की बुराइयां अपनेआप से दूर रखेंगे तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

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सातवा वचन

परस्त्रियं मातूसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कूर्या।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तमंत्र कन्या!!
अर्थ
आप पराई स्त्रियों को मां सामान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के बीच अन्य किसी को भी नहीं आने देंगे। यदि आप यान वचन दें तो ही मैं आपने वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

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Saturday, April 28, 2018

दहेज क्या होता है?


नमस्कार मित्रो, मैं प्रदीप मौर्य फेसबुक ग्रुप विवाह परिचय सम्मेलन(मौर्य,कुशवाहा,शाक्या,सैनी) का ग्रुप एडमिन हु।मित्रो आज कल शादी विवाह का समय चल रहा है ,और ज्यादातर लोग दहेज शब्द का उपयोग कर रहे है। आखिर ये दहेज होता है क्या है? आज हम इसी बात को विस्तार से जानने की कोसिस करेंगे।

इस  पोस्ट में हम इन सभी प्रश्नों के उत्तर देने की कोसिस करेंगे-
1.क्या आप दहेज प्रथा के बारे में जानते हें?
2.क्या आप दहेज प्रथा के दुष्परिणाम से मुक्ति पाना चाहते हें?
3.क्या आप दहेज प्रथा पर निबंध लिखना चाहते हें ? 

अगर हाँ, तो आइए जानते हें  दहेज प्रथा क्या है ?

आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ कर यह सभी चीजें जान सकते है-
1.दहेज प्रथा के कारण,
2.दहेज प्रथा को रोकने के उपाय|

जो विद्यार्थी इस पोस्ट को पढ़ रहे है आप इसमें बताई गई बात आप विद्यालय में ,किसी समाजिक कार्यक्रम में या फिर कही भी जहाँ दहेज की बात पर आपको कुछ कहने को , बोलने को कहा जाए ,आप इसे पढ़ कर बोल सकते है?

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जानिए दहेज प्रथा क्या है?(What is dowry system)

दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है जो की समाज के आदर्शवादी होने पर सवाल्या निशाँ लगा देता है| दहेज लेने या देने को दहेज प्रथा कहा जाता है|
लड़की की शादी के समय लड़की के परिवार वालों के द्वारा लड़के या उसके परिवार वालों को नगद या किसी भी प्रकार की किमती चीज़ बिना मूल्य में देने को दहेज़ कहा जाता है| जिसका अर्थ लड़के की परिवार वालों के द्वारा लड़के की मूल्य भी समझा जा सकता है|
दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्या है| दहेज प्रथा गैर कानूनी होने के बावजूद भी ये हमारे समाज में खुली तौर पर राज़ करती है|

जानिए दहेज प्रथा को विस्तार से(Detailed Introduction to Dowry System)

दहेज प्रथा एक सामाजिक बीमारी है जो की आज कल समाज में काफी रफ़्तार पकडे गति कर रहा है| ये हमारे जीवन के मकसद को छोटा कर देने वाला प्रथा है| ये प्रथा पूरी तरह इस सोच पर आधारित है, की समाज के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति पुरुष ही है और नारी की हमारे समाज में कोई महत्व भी नहीं है|
इस तरह की नीच सोच और समझ ही हमारे देश की भविष्य पर बड़ी रुकावट साधे बैठे हें|
दहेज प्रथा को भी हमारे समाज में लगभग हर श्रेणी की स्वीकृति मिल गयी है जो की आगे चल के एक बड़ी समस्या का रूप भी ले सकती है |

महात्मा गाँधी ने दहेज प्रथा के बारे में कहा था कि-

जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरुरी सर्त बना देता है , वह अपने शिक्षा और अपने देश की बदनाम करता है, और साथ ही पूरी महिला जात का भी अपमान करता है | 

ये बात महात्मा गाँधी ने देश की आजादी से पहले कही थी| लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी दहेज प्रथा को निभायी जाती है| हमारे सभ्य समाज के गाल पर इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है?

हम सभी ऊँचे विचारों और आदर्श समाज की बातें करते हें, रोज़ दहेज जैसी अपराध के खिलाफ चर्चे करते हें, लेकिन असल जिंदगी में दहेज प्रथा जैसी जघन्य अपराध को अपने आस पास देख के भी हम लोग अनदेखा कर देते हें| ये बड़ी ही शर्म की बात है|
दहेज प्रथा को निभाने वालों से ज्यादा दोषी इस प्रथा को आगे बढ़ते हुए देख समाज में कोई ठोस कदम नहीं उठाने वाले है|

दहेज प्रथा एक गंभीर समस्या (Dowry System- A Serious Concern)

दहेज प्रथा सदियों से चलती आई एक विधि है जो की बदलते वक़्त के साथ और भी गहरा होने लगा है| ये प्रथा पहले के जमाने में केवल राजा महाराजाओं के वंशों तक ही सिमित था| लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुजरता गया, इसकी जड़ें धीरे धीरे समाज के हर वर्ग में फैलने लगा| आज के दिन हमारे देश के प्रयात: परिवार में दहेज प्रथा की विधि को निभाया जाता है|
दहेज प्रथा लालच का नया उग्र-रूप है, जो की एक दुल्हन की जिंदगी की वैवाहिक, सामाजिक, निजी, शारीरिक, और मानसिक क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव डालता है, जो की कभी कभी बड़े ही भयंकर परिणाम लाता है।
दहेज प्रथा का बुरा परिणाम के बारे में सोच कर हर किसी का रूह काँपने लगता है, क्यूंकि इतिहास ने दहेज प्रथा से तड़पती दुल्हनों की एक बड़ी लिस्ट बना रखी है।ये प्रथा एक लड़की की सारी सपनो और अरमानो को चूर चूर कर देता है जो की बड़ी ही दर्दनाक परिणाम लाता है।

लगभग देश की हर कोने में ये प्रथा को आज भी बड़े ही बेजिजक निभाया जाता है।

ये प्रथा केवल अमीरों तक ही सिमित नहीं है, बल्कि ये अब मध्य बर्गियों और गरीबों का भी सरदर्द बन बैठा है।

सोचने की बात है की देश में बढती तरक्की दहेज प्रथा को निगलने में कहाँ चूक जाती है? ऊँच शिक्षा और सामाजिक कार्यकर्मों के बावजूद दहेज प्रथा अपना नंगा नाच आज भी पूरी देश में कर रही है। ये प्रथा हर भारतीयों के लिए सच में एक गंभीर चर्चा बन गयी है जो की हमारे बहु बेटियों पर एक बड़ी ही मुसीबत बन गयी है।

दहेज प्रथा के कारण (Causes of Dowry System)

दहेज प्रथा समाज की बीमारी है | इस बीमारी ने न जाने कितने ही परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है| आज समाज में दहेज प्रथा पूरी तरह अपनी जगह बना चुकी है जो की एक दस्तक है आगे चलते समय के लिए|

दहेज प्रथा को बढ़ावा देने में समाज की ही अहम् भूमिका है | वह समाज ही है जो की दहेज प्रथा की जड़ को मजबूत कर रही है|


दहेज प्रथा की कई कारण हें, जैसे की–

1.इ-शादी की विज्ञापन से फैलती दहेज प्रथा-

आज के इन्टरनेट युग में शादी के लिए लड़का-लड़की इन्टरनेट के माध्यम से भी खोजे जाते हें| इस प्रकार की विज्ञापनों में लड़की की परिवार वाले कई बार अच्छे लड़के की आश में अपना स्टेटस और कमाई को ज्यादा बताने की भूल कर बैठते हें, जो की लड़के वालों में कभी कभी लोभ आ जाता है| इस प्रकार की लोभ शादी के बाद मांग में बदल जाते हें, जो की धीरे धीरे दहेज प्रथा को पनपने देता हें| और दहेज की मांग होने लगती है|

2.समाज में पुरुष प्रधान की लहर से फैलती देहेज प्रथा-

हमारे समाज पुरुष प्रधान है| बचपन से ही लड़कियों की मन में ये बात बिठा दिया जाता है की लडके ही घर के अन्दर और बाहर प्रधान हें, और लड़कियों को उनकी आदर और इज्ज़त करनी चाहिए| इस प्रकार की अंधविश्वास और दक्क्यानूसी सोच  लड़कियों की लड़कों के अत्याचार के खिलाफ अवाज़ उठाने की साहस की गला घूंट देते हें| और इससे बढती है लड़कियों पर अत्याचार और रूप लेता है विभिन्न मांगों की, जो की दहेज प्रथा का रास्ता खोल देता है|

3. समाज में अपनी झूठी स्टेटस से फैलती दहेज प्रथा-

जी हाँ, चौंकाने वाला पर सच| ऊँचे समाज में आज कल अपना सोशल स्टेटस की काफी कम्पटीशन चल रही है| बेटी की शादी में ज्यादा से ज्यादा खर्च करना, महँगी तोहफे देना, लड़के वालों को मांग से ज्यादा तोहफे देना, आदि लड़के वालों के मन को कई बार छू जाता है| ये आदतें धीरे धीरे लड़की पर दबाव बना देती है| शादी के बाद भी लड़के वालों की इस तरह के तोहफों की लत लग जाती है, जो की धीरे धीरे मांग की रफ़्तार को और आगे ले जाती है| और इसी झूठी शान के चलते हम जाने अनजाने में दहेज प्रथा को पनपने देते हैं|

4 .लड़की की सुन्दरता या कोई कमी कई बार दहेज की रस्म को निभा जाती है-

कई बार दहेज प्रथा खुद लड़की की माँ बाप की गलती से भी पनपता है। अगर लड़की की सुन्दरता में कोई कमी है या फिर लड़की की किसी भी कमी के कारण शादी में दिक्कत आती है, तो माँ- बाप लड़की की शादी को तुरंत करवाने की आड़ में दहेज देना आरम्भ कर देते हें। और ये बात दहेज प्रथा को हवा देती है।


दहेज प्रथा के कारण तो अनगिनत हैं, लेकिन अब वक़्त आ गया है की हमे कारणों की नहीं, दहेज प्रथा के समाधान के बारे में सोचें।

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम(Effects of Dowry System)

दहेज प्रथा के परिणाम बहोत ही भयंकर हैं। दहेज प्रथा के कारण गरीब माँ बाप अपनी बेटी की भविष्य को अनसुलझा ही पाते है।

लड़कियों की शादी के वक़्त दहेज प्रथा अपने सबसे खतरनाक रूप लेती है। शादी या उसके बाद भी जिस घर में दहेज की बू आई, उस घर में दहेज प्रथा के दुष्परिणाम दिखाई देती है। दहेज प्रथा के दुष्परिणाम से हम सब वाकिफ हैं, लेकिन इस कलंक को हम ही बढ़ावा देते हैं।

दहेज प्रथा के बुरे असर है-

1.दहेज प्रथा के कारण होती लड़कियों के साथ अन्याय:

कई बार दहेज दुल्हन के परिवार पर बहोत ही बुरा प्रभाव डालती है । दहेज के खर्चे पूरा सन्न कर जाति है।लड़की के शादी का माहोल खुशियों भरा नहीं रहता, अपमान और शर्मसार का माहोल बन के रह जाती है।इसी कारण हमारे समाज में लडकीयों को कई बार एक बोझ माना जाता है ।

2. दहेज प्रथा के कारण लड़कियों पर अत्याचार :

शादी के बाद जैसे ही दिन गुजरने लगते हें, वैसे ही दहेज की मांगे बढ़ने लग जाती है।अगर लड़की दहेज लाने के खिलाफ बोलती है तो उस पर शारीरिक, मानसिक अत्याचार किया जाता है । घरोई हिंसा को हवा दिया जाता है । लडकी पर कई तरह के जुर्म किया जाता है ताकि वह अपने माईके से दहेज की बात कर सके।

3. देहेज प्रथा से बढती लड़का लड़की में अंतर-

दहेज प्रथा के कारण कई घरों मे लड़कियों को उतना मोह और प्यार नहीं मिलता जितना की घर के लड़कों को दिया जाता है। माँ बाप को लड़कियों को आने वाली वक़्त में खर्चा का साधन लगता है, और इसी कारण वह कन्या संतान को कई बार अपने हाल में छोड़ते हें।  इसी तरह लड़का और लड़की में अंतर बनता है ।

दहेज़ प्रथा रोकने के उपाय(How to Stop Dowry Practice)

दहेज प्रथा हमारे समाज को खोंखला और बेमतलब बना रही है| ये प्रथा हमारे ही जिंदगी को तबाह कर रही है| लेकिन अब वक़्त आ गया है की हमे दहेज प्रथा के खिलाफ एक जूट हो कर अपना आवाज़ बुलंद करना है|

हर समस्या का समाधान उसके अन्दर ही है| इस तरह से दहेज प्रथा का समाधान भी इसी प्रथा में ही है, बस दहेज लेने और देने की आदत को “हाँ” से “ना” में बदलना है|

आइए जानते हें की दहेज प्रथा को कैसे रोकें–

दहेज प्रथा को रोकने के लिए हम ही सबसे बड़ा और कामयाब कदम उठा सकते हें |


दहेज प्रथा को पूरी तरह मिटाने के लिए हमे बस दो ही बातों को अपनाना है-

 अगर आप एक लड़की हें- तो आप कभी भी ऐसी घर में शादी करने के लिए अपना स्वीकृति न दें जो दहेज की मांग कर रही हें|
अगर आप एक लड़का हें- तो आप दहेज को अपने शादी या वैवाहिक जिंदगी का हिस्सा न बनने दें|
बस हममे ही है समस्या|

हम दहेज प्रथा को पूरी तरह नाकामयाब बना सकते हें अगर हम अपने आप को पूरी तरह इसके लिए जिम्मेदार मानें |

दहेज प्रथा हमारे समाज का एक पुराने जमाने की हिस्सा है| हम ऐसे ही इस प्रथा को झट से बंद नहीं कर सकते| इसके लिए हमे कदम कदम कर के चलना होगा| हमे अपने समाज और देश में कई प्रकार के बदलाव लाना होगा, जैसे की-

दहेज प्रथा को रोकने के लिए क़ानून व्यवस्था में बदलाव लाना होगा-

आज कल हमारे समाज में दहेज प्रथा खुली तरह से निभाया जाता है जब कि ये कानूनन जुर्म है| दहेज की व्यापार को बिना किसी दर से किया जाता है| ये ऐसा है क्यूंकि हमारे देश की कानूनी व्यवस्था जरुरत के मुताबिक़ मजबूत नहीं है| जरुरत है दहेज के खिलाफ क़ानून में बदलाव लाना|

लड़का-लड़की एक सामान के बारे में लोगों को अवगत करना होगा –

सबसे पहले हमे अपने सोच में बदलाव की जरुरत है| हमे लड़कियों को लड़कों के बराबर समझना है| लड़कियों को लड़कों से किसी भी तरह छोटा महसूस नहीं होने देना है| अगर ऐसा हुआ तो लड़कियों को ससुराल जाने के लिए दहेज का साथ की जरुरत नहीं होगी| कहते हैं की कोई भी कार्य की शुरुवात पहले अपने आस पास की माहोल से करनी चाहिए| घर में अपने बच्चो को लडकियों को सम्मान और आदर करने के बारे में बताना होगा| हमे लड़का लड़की एक समान को अपनाना होगा|

कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना होगा –

हमे कन्या भ्रूण हत्या को पूरी तरह से बंद करने की सपथ लेना होगा| | जितनी लड़कियों की हत्या होगी, दहेज प्रथा को उतना हाथ मिलेगा| दहेज प्रथा लड़कियों की कमी के कारण भी हमारे समाज में पनपती है | ज्यादा से ज्यादा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागृति बना के हम दहेज प्रथा पर रोक लगा सकते हें|

दहेज प्रथा को रोकने के लिए महिला सशक्तिकरण पर जोर देना होगा –

इसकी चाबी है एजुकेशन | हमे लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना होगा| उन्हें आजादी देनी होगी, आजादी अपने आप को एक मजबूत नारी बनाने की | हमे लड़कियों के पढाई पे ज्यादा से ज्यादा ध्यान और महत्व देना होगा | लड़कियों को पढ़ा लिखा के अपने पैरों पे खड़े होने के काबिल बनाना होगा, जो की वक़्त आने पर दहेज के खिलाफ खुद लढ सकती हें |

देहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरूकता फैलाना होगा –

हमे दहेज के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा करना है| गाँव और सहारों में दहेज के बुरे प्रकोप के बारे में बताना होगा जो की कई इंसानों को दहेज की पाप करने से रोकने में सहायक साबित होगी| खुद दहेज के खिलाफ सख्ती से पेश आना होगा|

हमे सही और गलत तय करना -

जी हां हम्हे कुछ बातें अपनी जिंदगी में तय करना होगा| तय करना होगा की हम किसी भी ऐसी शादी में न शामिल हों जहां दहेज की प्रथा को निभायी गयी है|

लड़कियों को ये तय करना होगा की उन्हें दहेज मांगे जाने वाली घरों को अलविदा कहना है, बिना इस बात कि झूठी सपने देख कर की वक़्त सब कुछ ठीक कर देगा|

दहेज प्रथा पर अन्तिम चर्चा(conclusion on dowry system)

दहेज प्रथा हमारे समाज को हमारा नहीं छोड़ा | ये प्रथा पुरे समाज को अपने वस में कर खोखला बना चुका है | वक़्त आ गया है इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की| वक़्त आ गया है दहेज प्रथा के क़ानून कि सख्ति से इस्तेमीलकरने की| देहेज प्रथा के कारण आज भी हमारा समाज पिछडा हुआ है| लड़का और लड़की में अंतर मानते हें|

तो चलिए एक मुहीम छेड़ें देहेज प्रथा के खिलाफ| अगर आप के मन में दहेज प्रथा के बारे में कोई जानकारी है तो प्लीज निचे हमे लिख के जरुर भेजें ताकि आप कि कही हुई शायद कोई छोटी सी बात कई जिंदगियों को तबाह होने से बचा दे| दहेज की आदत को हमे जड़ से उखाड़ फेंकना है और एक स्वच्छ भारत की गठन करना है|


हमे अपने सुझाव जरुर दें | और दहेज प्रथा को “ना” बोले|

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मित्रो यह पोस्ट बहुत बडा था,आखिर बात ही इतनी बड़ी थी तो पोस्ट को बड़ा होना ही था। आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा आप हम्हे कमेंट करके बताना न भूलियेगा। और आपने हमारे इस दहेज वाली पोस्ट को पढ़ा इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।